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पौंग झील की पारिस्थितिकी को खतरा, अवैध गतिविधियों पर उठे सवाल

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Pong Lake Illegal Farming: हिमाचल प्रदेश की पौंग झील में संरक्षित क्षेत्र में अवैध खेती का मामला एक बार फिर विवादों में है। देहरा के गुलेर और गठुतर गांवों के निवासियों ने इस अवैध गतिविधि का कड़ा विरोध किया है। जांच के लिए मौके पर पहुंचे अधिकारियों के सामने ग्रामीणों ने नारेबाजी कर विरोध जताया।

जानकारी के अनुसार, उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद कुछ लोग पौंग झील के प्रतिबंधित क्षेत्र में खेती कर रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस अवैध खेती से झील का पारिस्थितिकी तंत्र गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।

स्थानीय लोगों ने वन विभाग पर कार्रवाई में लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि झील के आसपास बढ़ते अतिक्रमण और अवैध गतिविधियों के कारण दुर्लभ पक्षियों और जीवों को खतरा उत्पन्न हो गया है। इस मुद्दे को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया।

पौंग झील हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रामसर साइट के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह झील प्रवासी पक्षियों के लिए प्रजनन और विश्राम का एक महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन हाल के वर्षों में झील के आसपास बढ़ते अतिक्रमण और अवैध गतिविधियों ने इसके पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डाल दिया है।

वन विभाग के अधिकारियों ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए कहा कि वे झील के संरक्षण और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों को कड़ी सजा दी जाए और पौंग झील को बचाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। उन्‍होंने कहा कि मामले में नोटिस जारी किए जा रहे हैं।